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अध्याय 31 – राष्‍ट्रीय पहचान-पत्र प्रणाली (सिस्टम) लागू करने पर `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के प्रस्‍ताव

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(31.3) निजी पहचान पत्र प्रणाली (सिस्टम), नागरिक पहचान पत्र प्रणाली (सिस्टम)

 

हम नागरिक पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) निम्‍नलिखित तरीके से बनाने का प्रस्‍ताव करते हैं:-

1.    भारत में प्रत्‍येक व्‍यक्‍ति और उसके बच्‍चों को एक वर्ष के भीतर निजी पहचान-पत्र जारी किया जाए।

2.    एक वर्ष के बाद, निजी पहचान-पत्र केवल उन्‍हीं व्‍यक्‍तियों को जारी किया जाएगा जिनके माता-पिता दोनों के पास निजी पहचान-पत्र होगा।

3.    एक ऐसा कानून लागू करें कि मालिक को कर्मचारियों के निजी पहचान-पत्र की जानकारी / रिपोर्ट सरकार को देने की जरूरत होगी। इससे सरकार नकली/फर्जी पहचान-पत्रों को पकड़ने/खोजने और नकली पहचान-पत्र वाले बांग्‍लादेशियों को पकड़ पाने में समर्थ/सक्षम होगी। इससे भारत में रोजगार पाने के लिए आने वाले जवान/वयस्‍क बांग्‍लादेशियों को रोका जा सकेगा और इस प्रकार उनके घुसपैठ (की घटना) में भी कमी आएगी।

4.    एक वर्ष के बाद, इस प्रणाली(सिस्टम) में डी.एन.ए. आंकड़ा कोष(डाटाबेस) और “रिश्तेदार/वंश वृक्ष” बनाया जाए अर्थात इस प्रणाली(सिस्टम) का प्रत्‍येक व्‍यक्‍ति को जितना ज्‍यादा संभव हो सके उतना ज्‍यादा उसके रिश्‍तेदारों से जोड़ा जाए।

5.    निजी पहचान-पत्र वाला व्‍यक्‍ति उन संस्‍थाओं के पास जा सकता है जिसने उसे प्रमाणपत्र जैसे स्‍कूल छोड़ने का प्रमाणपत्र, कॉलेज की डिग्री आदि जारी किए हैं। वह संस्‍था रजिस्‍ट्रार की वेबसाईट पर उस व्‍यक्‍ति के निजी पहचान-पत्र के साथ उसके प्रमाणपत्र अपलोड कर देगी।

6.    कोई भी व्‍यक्‍ति अपनी निजी पहचान-पत्र का प्रयोग करके रजिस्‍ट्रार की वेबसाईट पर अपने रिकार्ड की जांच / वेरिफिकेशन कर सकता है।

7.    एक वर्ष के बाद, जूरी आधारित कोर्ट/न्‍यायालय प्रारंभ किया जाए ताकि यह निर्णय किया जा सके कि कौन सा व्‍यक्‍ति भारतीय है और कौन नहीं। किसी व्‍यक्‍ति के भारतीय न होने के जांच से पक्का हो जाने के बाद उसे भारत से निकाल दिया जाएगा। ऐसे मुकद्दमें/ट्रायल लगभग 2 वर्ष तक चलते रहेंगे।

8.    2 वर्ष के बाद, निजी पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) ही नागरिक पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) बन जाएगी।

 

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(31.4) निजी पहचान-पत्र में क्‍या शामिल होगा?


किसी पहचान-पत्र कार्ड में निम्‍नलिखित जानकारी होना चाहिएं:-

1.    पहचान-पत्र संख्‍या : 11 संख्‍याओं वाली पहचान-पत्र संख्‍या सभी बड़ों/वयस्‍कों को और बाद में केवल नवजात बच्‍चों को जारी किए जांए।

2.    माता-पिता की पहचान-पत्र संख्‍या

3.    नाम व पता

4.    माता-पिता का नाम

5.    (यदि हों तो)कम से कम 50 रिश्‍तेदारों के नाम, उनकी पहचान-पत्र संख्‍या, (व्‍यक्‍ति से) उनके संबंध

6.    पहचान-पत्र जारी करने की तारीख, पहचान-पत्र जारी करने का स्‍थान (शहर, गांव आदि)

7.    छायाचित्र (फोटो)

8.    अन्‍य पहचान-पत्रों जैसे राशन कार्ड, स्‍कूल प्रमाणपत्र के नाम

9.    जन्‍म-तिथि, जन्‍म-तिथि का प्रमाण/सबूत उपलब्‍ध न होने पर जन्‍म का अनुमानित वर्ष

10.   अन्‍य प्रमाणपत्रों पर/में जन्‍मतिथि

11.   अंगुठे और सभी अंगुलियों के छाप(फिंगर प्रिंट)

12.   क्रमरहित तरीके से चुने गए तीन अलग-अलग प्रयोगशालाओं से रक्‍त समूहों/ब्‍लड ग्रुपों की पूरी जानकारी |

13.   डी.एन.ए. नक्शा/छाप : यदि और जब लागत वहनीय हो जाए तब प्रारंभ में डी.एन.ए. छाप सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए अनिवार्य किया जाए और फिर इसे उन सभी नागरिकों के लिए अनिवार्य किया जाए जो प्रतिवर्ष 10 लाख से ज्‍यादा रूपए कमाते हैं, इसके बाद इसे उन नागरिकों के लिए, जो प्रतिवर्ष 5 लाख से ज्‍यादा रूपए कमाते हैं और फिर उन सभी नागरिकों के लिए जो प्रतिवर्ष 2,00,000 रूपए से ज्‍यादा कमाते हैं और अंत में इसे (शेष) सभी नागरिकों के लिए किया जाए।

14.   यदि किसी गैर-नागरिक ने जालसाजी करके पहचान-पत्र प्राप्‍त कर लिया है तो (पकड़े जाने पर) जूरी-मण्‍डल उसे 10 साल तक की कैद की सजा सुना सकती है। इससे बांग्‍लादेशी और पाकिस्‍तानी घुसपैठियों को निकाल बाहर करने में भी मदद मिलेगी ।

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(31.5) निजी पहचान-पत्र कैसे बनाएं / सृजित करें?

           

1.    निजी पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) के लिए प्रधानमंत्री एक रजिस्‍ट्रार रखेंगे( नियुक्‍ति करेंगे)। बदलने की प्रक्रियाओं का प्रयोग करके नागरिक उसे बदल सकते हैं।

2.    प्रधानमंत्री उसे निजी पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) बनाने के लिए आवश्‍यक पैसा/राशि उपलब्‍ध कराएंगे अथवा रजिस्‍ट्रार एक प्रस्‍ताव प्रस्‍तुत करेगा जिसे जब नागरिकों अथवा सांसदों का अनुमोदन/स्वीकृति मिल जाएगा तब वह आवश्‍यक निधि/राशि प्राप्‍त करेगा।

3.    नागरिक जूरी सुनवाई का प्रयोग करके निजी पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) के स्‍टॉफ को हटा/बर्खास्‍त कर सकते हैं।

4.    रजिस्‍ट्रार (अथवा उसका स्‍टॉफ) निम्‍नलिखित जानकारी के साथ किसी जिले के निवासी भारतीय नागरिकों में से प्रत्‍येक नागरिक को 2, 3 या 4 से शुरू होने वाले 11 अंकों वाली नंबर/क्रमसंख्‍या जारी करेगा –

नाम, जैसा कि राशन (कार्ड) में दर्ज/लिखा है, फोटो, जन्‍म तिथि या जन्‍म प्रमाणपत्र, जन्‍म तिथि या स्‍कूल छोड़ने का पहचान-पत्र (यदि यह जन्‍म प्रमाणपत्र में दर्ज/लिखी तिथि से भिन्‍न हो), पता, अंगुलियों के छाप(फिंगर प्रिंट), रक्‍त समूह/ब्‍लड ग्रुप, डी.एन.ए. प्रिन्‍ट/छाप (बाद के स्‍तर के लिए), सीरियल नंबर/क्रम संख्‍या आदि।11 अंकों वाला नंबर “चैक-सम” अंक होगा|

5.    पहले वर्ष के लिए, यदि कोई व्‍यक्‍ति यह कहता है कि वह भारतीय नागरिक है तो उसे एक निजी पहचान-पत्र मिलेगा। बाद में, राष्‍ट्रीय स्‍तर की कोई जूरी यह निर्णय देती है कि वह व्‍यक्‍ति भारतीय नागरिक नहीं है तो जूरी-मण्‍डल के सदस्‍य उसे 10,000 रुपये का जुर्माना और देश से बाहर निकलवा सकती है |

6.    रजिस्‍ट्रार पहचान-पत्र के 2 कार्ड जारी करेगा – एक बड़ा और एक छोटा। छोटे कार्ड में केवल 4 जानकारियां होंगी – नाम, पहचान-पत्र नंबर/संख्‍या, जन्‍मतिथि और फोटो व अंगुली की छाप(फिंगर प्रिंट)। बड़े कार्ड पर अनेक जानकारियां होंगी जैसे – नाम जैसा कि राशन (कार्ड) में दर्ज/लिखा है, नाम जैसा कि स्‍कूल छोड़ने के प्रमाणपत्र में दर्ज है, नाम जैसा पैन कार्ड पर दर्ज है, नाम जैसा पासपोर्ट में दर्ज है, पासपोर्ट, `स्‍कूल छोड़ने का प्रमाण-पत्र`, आदि में दर्ज विभिन्‍न जन्‍म तिथियां, , विस्‍तृत रक्‍त का नक्शा (प्रोफाइल), विस्‍तृत डी.एन.ए. नक्शा(प्रोफाइल), यदि उपलब्‍ध हो, इत्‍यादि, इत्‍यादि।

7.    रजिस्‍ट्रार का स्टॉफ, फोटो और अंगुलियों के छाप(फिंगर प्रिंट) लेगा और उन्‍हें स्‍कैन करके कम्‍प्‍यूटर में दर्ज कर देगा। प्रत्‍येक नागरिक के लिए, निरीक्षक/सुपरवाईजर क्रमरहित तरीके से 3 क्‍लर्क का चयन करेगा जो अँगुलियों के छाप(फिंगर प्रिंट) लेंगे और फोटो खीचेंगे और इन्‍हें स्‍कैन करके कम्‍प्‍यूटर में दर्ज करेंगे। रजिस्‍ट्रार उन मामलों की जांच करने के लिए एक अधिकारी रखेगा, जिन मामलों में ये अँगुलियों के छाप(फिंगर प्रिंट) (आपस में) नहीं मिलेंगे और जिस स्‍टॉफ ने गलती की है उसे हटा/निकाल दिया जाएगा।

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