राष्ट्रीय पहचान-पत्र प्रणाली (सिस्टम) लागू करने पर `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के प्रस्ताव |
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(31.1) पहचान-पत्र प्रणाली (सिस्टम) का अभाववापस ऊपर जायें वापस ऊपर जायें |
हमारे अधिकारी लोग और मंत्री लोग इतने सड़े हुए(भ्रष्ट) हैं और हमारी वर्तमान पहचान-पत्र प्रणालियां, राशन कार्ड, चुनाव कार्ड, पैन कार्ड आदि इतने बेकार/पुराने हैं कि अनेक नागरिकों का भरोसा ही उठ गया है कि “पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम)” बनाई भी जा सकती है। मामले को आगे और बिगाड़ने के लिए, बुद्धिजीवियों ने नागरिकों को पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) के बारे में जानकारी/सूचना न देने की कसम ही खा ली है और इसलिए बहुत से लोग अभी भी यह मानते हैं कि पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) का अर्थ केवल “एक कार्ड जारी करना” है, लेकिन बात ऐसी नहीं है। पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) में महत्वपूर्ण भाग/हिस्सा एक सरकारी डाटाबेस में (विवरण) दर्ज कराया जाना है – यह केवल एक कार्ड भर/ही नहीं है क्योंकि कार्ड आसानी से नकली/जाली बन सकते हैं। और बुद्धिजीवी लोग यह झूठ बोलकर लोगों को भटकाते/बहकाते हैं कि “अमेरिका में पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) है – वे अवैध कार्यों को रोकने में सफल नहीं हो पाए हैं।” मैं आगे चलकर इस झूठ से पर्दा उठाउंगा।
पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) क्या है? पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) केवल एक कार्ड नहीं है – कार्ड तो इसका एक छोटा सा भाग/हिस्सा है। पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) एक ऐसी प्रणाली(सिस्टम) है जिसमें नागरिकों, अन्य लोगों, कम्पनियों आदि के ठीक-ठीक/सटीक रिकार्ड प्राप्त किए जाते हैं। एक बिलकुल सही(बिना कोई गलतियों के) पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) बहुत आसानी से संभव है और यह प्रति व्यक्ति के आधार पर बहुत ही सस्ता है। और यह पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) बहुत सी समस्याओं का बड़ी आसानी से/चुटकियों में समाधान करता है:-
1. यदि निजी पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) को एक कानून से जोड़ दिया जाए कि “मालिक/मालिक को कर्मचारियों के पहचान-पत्र, अंगुलियों के छाप (फिंगर प्रिन्ट), फोटो की जानकारी सरकार को देनी होगी” तो इससे बांग्लादेशी घुसपैठ कम होकर आज की तुलना में 1 प्रतिशत से भी कम हो जाएगा।
2. पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम), बेनामी जमीन रखने वालों की पहचान करके उन्हें अलग कर सकता है और टैक्स चोरी कम कर सकता है।
- पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) प्रत्येक सरकारी विभाग में रिकार्ड/अभिलेख रखने की लागत कम कर सकता है और संदेहास्पद व्यक्तियों पर नजर रखने/उन्हें पकड़ने के काम को आसान बना सकता है और इस प्रकार पुलिस द्वारा नियंत्रण रखने के काम की लागत भी कम करता है।
- डी.एन.ए. डाटाबेस(आंकड़ा-कोष) के साथ पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) बलात्कारियों और अनेक अन्य अपराधियों पर नजर रखने और उन्हें पकड़ने में उपयोगी है।
- डी.एन.ए. डाटाबेस(आंकड़ा-कोष) के साथ पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) संबंधों/रिश्तों की रजिस्ट्री दर्ज कराने और जांच/साबित करने में सहायक/उपयोगी हो सकता है जिसका प्रयोग करके वर्तमान में (भारत में) रह रहे बांग्लादेशियों की पहचान करके उनका बांग्लादेशी होना साबित करके उन्हें देश से निकाला जा सकता है।
यदि पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) और “प्रत्येक कर्मचारी की जानकारी देने/रिपोर्ट करने” का कानून लागू नहीं किया जाता है तो पूर्वोत्तर में बांग्लादेशियों की जनसंख्या इस हद तक बढ़ जाएगी कि पूर्वोत्तर बांग्लादेश का हिस्सा बन जाएगा और पूर्वोत्तर में करोड़ो भारतीय उसी प्रकार मारे जाएंगे जिस प्रकार वर्ष 1947 में मारे गए थे।
मैं `राईट टू रिकाल ग्रुप`/`प्रजा अधीन राजा समूह` के सदस्य के रूप में निजी पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) 1 वर्ष के भीतर और नागरिक पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) 2 वर्ष के भीतर बनाने का प्रस्ताव करता हूँ।
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(31.2) नागरिक पहचान-पत्र प्रणाली (सिस्टम) से आशाएं |
दु:ख की बात है कि भारत के बुद्धिजीवी लोग हम आम लोगों को पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) के बारे में सूचना/जानकारी देने के इतने खिलाफ हैं कि हमलोगों में से ज्यादातर लोग यह तक नहीं जानते कि पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) का अर्थ क्या है और यह क्या कर सकता है।
एक नागरिक पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) एक ऐसी प्रणाली(सिस्टम) है जो किसी समूह/समाज और एक सरकारी अधिकारी को यह सुनिश्चित करने में समर्थ/सक्षम बनाती है कि कोई व्यक्ति “हमलोगों में से ही एक” है, और वह (वाकई) वही व्यक्ति है जो वह खुद को बता रहा है और वह (सही में) वही व्यक्ति है जो सरकारी रिकार्डों में दर्ज है। पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) से जुड़े कुछ मुद्दे निम्नलिखित हैं :-
- पहचान-पत्र संख्या जीवन भर कभी भी नहीं बदली जा सकनी चाहिए।
- पहचान-पत्र संख्या राष्ट्र भर में हर व्यक्ति के लिए एकल/एकदम अलग होनी चाहिए।
- प्रत्येक नागरिक के पास नागरिक पहचान-पत्र होना जरूरी है ; बाहर से आने वाले सभी गैर-नागरिकों के पास अवश्य ही एक अलग प्रकार का पहचान-पत्र होगा।
- कोई नागरिक जैसे ही आवेदन करता है तो उसे एक क्रम संख्या अवश्य दी जाए। इस कार्य में देरी को 15 मिनट तक सीमित करना संभव है लेकिन दिनों की देरी नहीं होनी चाहिए।
- सरकारी रिकार्डों/अभिलेखों में गलतियों को ठीक करना कुछ ही मिनटों में संभव होना चाहिए।
- यदि किसी नागरिक का मूल/पहला पहचान-पत्र खो/गुम हो जाता है तो उसे कुछ ही घंटों में नया कार्ड मिल जाना चाहिए।
- कार्ड पर पर्याप्त जानकारी/ब्यौरे (लिखे/छपे) होना चाहिए ताकि किसी अधिकारी के लिए यह पक्का करना संभव और आसान हो सके कि कार्डधारक व्यक्ति वही है जिसका फोटो कार्ड पर है।
आधुनिक तकनीक ने इन समस्याओं को लगभग 20 से 30 वर्ष पहले ही सुलझा लिया है। और आज इन्हें इस हद तक सुलझा लिया गया है कि ये मामूली बात होकर रह गई हैं। कैसे? अंगुलियों के छाप(फिंगर प्रिंट) पर विचार कीजिए। अंगुलियों के छाप (फिंगर प्रिंट) कम्प्यूटर में स्कैन करके किसी व्यक्ति की पहचान की जांच की जा सकती है। अब मान लीजिए, 10 लाख की जनसंख्या में से लगभग 1000 नागरिकों ने धोखाधड़ी करके 2 अलग-अलग पहचान-पत्र/कार्ड प्राप्त कर लिए हैं। तब फिंगर प्रिंटों की तुलना करके आधुनिक कम्प्यूटर इन नकलों/जालसाजियों में से 95 प्रतिशत से ज्यादा की पहचान कुछ ही घंटों में के भीतर कर सकता है। साथ ही, किसी व्यक्ति को रक्त समूहों/ब्लड ग्रुपों जैसे A, B, O, + – M, N, K आदि कारकों/फैक्टर्स की जानकारी जमा करने की जरूरत पड़ सकती है। मुख्यत: लगभग 2 दर्जन ऐसे कारक मानव रक्त में होते हैं जो ब्लड ग्रुप/रक्त समूह को लगभग एकल/एकमात्र बना देते हैं। यदि कुछ लोगों ने दो अलग-अलग पहचान-पत्र संख्या प्राप्त कर ली है तो कार्ड पर उसके ब्लड ग्रुप/रक्त समूह के ब्यौरे एक समान होंगे और कोई कम्प्यूटर नकल/दोहराव की पहचान करके उसे पकड़ सकता है। और यदि एक बार इस प्रणाली(सिस्टम) को डी.एन.ए. नक्शा/प्रोफाइल/ब्यौरे के लिए धन दिया जाता है तो पहचान और नकल/दोहराव से संबंधित सभी मुद्दे छूमंतर हो जाएंगे।
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(31.3) निजी पहचान – पत्र प्रणाली (सिस्टम), नागरिक पहचान – पत्र प्रणाली (सिस्टम) |
हम नागरिक पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) निम्नलिखित तरीके से बनाने का प्रस्ताव करते हैं:-
1. भारत में प्रत्येक व्यक्ति और उसके बच्चों को एक वर्ष के भीतर निजी पहचान-पत्र जारी किया जाए।
2. एक वर्ष के बाद, निजी पहचान-पत्र केवल उन्हीं व्यक्तियों को जारी किया जाएगा जिनके माता-पिता दोनों के पास निजी पहचान-पत्र होगा।
3. एक ऐसा कानून लागू करें कि मालिक को कर्मचारियों के निजी पहचान-पत्र की जानकारी / रिपोर्ट सरकार को देने की जरूरत होगी। इससे सरकार नकली/फर्जी पहचान-पत्रों को पकड़ने/खोजने और नकली पहचान-पत्र वाले बांग्लादेशियों को पकड़ पाने में समर्थ/सक्षम होगी। इससे भारत में रोजगार पाने के लिए आने वाले जवान/वयस्क बांग्लादेशियों को रोका जा सकेगा और इस प्रकार उनके घुसपैठ (की घटना) में भी कमी आएगी।
4. एक वर्ष के बाद, इस प्रणाली(सिस्टम) में डी.एन.ए. आंकड़ा कोष(डाटाबेस) और “रिश्तेदार/वंश वृक्ष” बनाया जाए अर्थात इस प्रणाली(सिस्टम) का प्रत्येक व्यक्ति को जितना ज्यादा संभव हो सके उतना ज्यादा उसके रिश्तेदारों से जोड़ा जाए।
5. निजी पहचान-पत्र वाला व्यक्ति उन संस्थाओं के पास जा सकता है जिसने उसे प्रमाणपत्र जैसे स्कूल छोड़ने का प्रमाणपत्र, कॉलेज की डिग्री आदि जारी किए हैं। वह संस्था रजिस्ट्रार की वेबसाईट पर उस व्यक्ति के निजी पहचान-पत्र के साथ उसके प्रमाणपत्र अपलोड कर देगी।
6. कोई भी व्यक्ति अपनी निजी पहचान-पत्र का प्रयोग करके रजिस्ट्रार की वेबसाईट पर अपने रिकार्ड की जांच / वेरिफिकेशन कर सकता है।
7. एक वर्ष के बाद, जूरी आधारित कोर्ट/न्यायालय प्रारंभ किया जाए ताकि यह निर्णय किया जा सके कि कौन सा व्यक्ति भारतीय है और कौन नहीं। किसी व्यक्ति के भारतीय न होने के जांच से पक्का हो जाने के बाद उसे भारत से निकाल दिया जाएगा। ऐसे मुकद्दमें/ट्रायल लगभग 2 वर्ष तक चलते रहेंगे।
8. 2 वर्ष के बाद, निजी पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) ही नागरिक पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) बन जाएगी।
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(31.4) निजी पहचान-पत्र में क्या शामिल होगा? |
किसी पहचान-पत्र कार्ड में निम्नलिखित जानकारी होना चाहिएं:-
1. पहचान-पत्र संख्या : 11 संख्याओं वाली पहचान-पत्र संख्या सभी बड़ों/वयस्कों को और बाद में केवल नवजात बच्चों को जारी किए जांए।
2. माता-पिता की पहचान-पत्र संख्या
3. नाम व पता
4. माता-पिता का नाम
5. (यदि हों तो)कम से कम 50 रिश्तेदारों के नाम, उनकी पहचान-पत्र संख्या, (व्यक्ति से) उनके संबंध
6. पहचान-पत्र जारी करने की तारीख, पहचान-पत्र जारी करने का स्थान (शहर, गांव आदि)
7. छायाचित्र (फोटो)
8. अन्य पहचान-पत्रों जैसे राशन कार्ड, स्कूल प्रमाणपत्र के नाम
9. जन्म-तिथि, जन्म-तिथि का प्रमाण/सबूत उपलब्ध न होने पर जन्म का अनुमानित वर्ष
10. अन्य प्रमाणपत्रों पर/में जन्मतिथि
11. अंगुठे और सभी अंगुलियों के छाप(फिंगर प्रिंट)
12. क्रमरहित तरीके से चुने गए तीन अलग-अलग प्रयोगशालाओं से रक्त समूहों/ब्लड ग्रुपों की पूरी जानकारी |
13. डी.एन.ए. नक्शा/छाप : यदि और जब लागत वहनीय हो जाए तब प्रारंभ में डी.एन.ए. छाप सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए अनिवार्य किया जाए और फिर इसे उन सभी नागरिकों के लिए अनिवार्य किया जाए जो प्रतिवर्ष 10 लाख से ज्यादा रूपए कमाते हैं, इसके बाद इसे उन नागरिकों के लिए, जो प्रतिवर्ष 5 लाख से ज्यादा रूपए कमाते हैं और फिर उन सभी नागरिकों के लिए जो प्रतिवर्ष 2,00,000 रूपए से ज्यादा कमाते हैं और अंत में इसे (शेष) सभी नागरिकों के लिए किया जाए।
14. यदि किसी गैर-नागरिक ने जालसाजी करके पहचान-पत्र प्राप्त कर लिया है तो (पकड़े जाने पर) जूरी-मण्डल उसे 10 साल तक की कैद की सजा सुना सकती है। इससे बांग्लादेशी और पाकिस्तानी घुसपैठियों को निकाल बाहर करने में भी मदद मिलेगी ।
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(31.5) निजी पहचान-पत्र कैसे बनाएं / सृजित करें? |
1. निजी पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) के लिए प्रधानमंत्री एक रजिस्ट्रार रखेंगे( नियुक्ति करेंगे)। बदलने की प्रक्रियाओं का प्रयोग करके नागरिक उसे बदल सकते हैं।
2. प्रधानमंत्री उसे निजी पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) बनाने के लिए आवश्यक पैसा/राशि उपलब्ध कराएंगे अथवा रजिस्ट्रार एक प्रस्ताव प्रस्तुत करेगा जिसे जब नागरिकों अथवा सांसदों का अनुमोदन/स्वीकृति मिल जाएगा तब वह आवश्यक निधि/राशि प्राप्त करेगा।
3. नागरिक जूरी सुनवाई का प्रयोग करके निजी पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) के स्टॉफ को हटा/बर्खास्त कर सकते हैं।
4. रजिस्ट्रार (अथवा उसका स्टॉफ) निम्नलिखित जानकारी के साथ किसी जिले के निवासी भारतीय नागरिकों में से प्रत्येक नागरिक को 2, 3 या 4 से शुरू होने वाले 11 अंकों वाली नंबर/क्रमसंख्या जारी करेगा –
नाम, जैसा कि राशन (कार्ड) में दर्ज/लिखा है, फोटो, जन्म तिथि या जन्म प्रमाणपत्र, जन्म तिथि या स्कूल छोड़ने का पहचान-पत्र (यदि यह जन्म प्रमाणपत्र में दर्ज/लिखी तिथि से भिन्न हो), पता, अंगुलियों के छाप(फिंगर प्रिंट), रक्त समूह/ब्लड ग्रुप, डी.एन.ए. प्रिन्ट/छाप (बाद के स्तर के लिए), सीरियल नंबर/क्रम संख्या आदि।11 अंकों वाला नंबर “चैक-सम” अंक होगा|
5. पहले वर्ष के लिए, यदि कोई व्यक्ति यह कहता है कि वह भारतीय नागरिक है तो उसे एक निजी पहचान-पत्र मिलेगा। बाद में, राष्ट्रीय स्तर की कोई जूरी यह निर्णय देती है कि वह व्यक्ति भारतीय नागरिक नहीं है तो जूरी-मण्डल के सदस्य उसे 10,000 रुपये का जुर्माना और देश से बाहर निकलवा सकती है |
6. रजिस्ट्रार पहचान-पत्र के 2 कार्ड जारी करेगा – एक बड़ा और एक छोटा। छोटे कार्ड में केवल 4 जानकारियां होंगी – नाम, पहचान-पत्र नंबर/संख्या, जन्मतिथि और फोटो व अंगुली की छाप(फिंगर प्रिंट)। बड़े कार्ड पर अनेक जानकारियां होंगी जैसे – नाम जैसा कि राशन (कार्ड) में दर्ज/लिखा है, नाम जैसा कि स्कूल छोड़ने के प्रमाणपत्र में दर्ज है, नाम जैसा पैन कार्ड पर दर्ज है, नाम जैसा पासपोर्ट में दर्ज है, पासपोर्ट, `स्कूल छोड़ने का प्रमाण-पत्र`, आदि में दर्ज विभिन्न जन्म तिथियां, , विस्तृत रक्त का नक्शा (प्रोफाइल), विस्तृत डी.एन.ए. नक्शा(प्रोफाइल), यदि उपलब्ध हो, इत्यादि, इत्यादि।
7. रजिस्ट्रार का स्टॉफ, फोटो और अंगुलियों के छाप(फिंगर प्रिंट) लेगा और उन्हें स्कैन करके कम्प्यूटर में दर्ज कर देगा। प्रत्येक नागरिक के लिए, निरीक्षक/सुपरवाईजर क्रमरहित तरीके से 3 क्लर्क का चयन करेगा जो अँगुलियों के छाप(फिंगर प्रिंट) लेंगे और फोटो खीचेंगे और इन्हें स्कैन करके कम्प्यूटर में दर्ज करेंगे। रजिस्ट्रार उन मामलों की जांच करने के लिए एक अधिकारी रखेगा, जिन मामलों में ये अँगुलियों के छाप(फिंगर प्रिंट) (आपस में) नहीं मिलेंगे और जिस स्टॉफ ने गलती की है उसे हटा/निकाल दिया जाएगा।
8. रक्त/खून की नक़्शे प्राप्त करने के लिए रजिस्ट्रार के पास तहसील (स्थित) कार्यालय में 20-40 टेक्नीशियन/तकनीकी विशेषज्ञ होंगे जो रक्त/खून के ब्यौरे प्राप्त करेंगे। प्रत्येक नागरिक के लिए रजिस्ट्रार का क्लर्क क्रमरहित तरीके से 3 तकनीशियनों/मिस्त्री का चयन करेगा जो रक्त/ब्लड के नमूने लेंगे। ब्लड ग्रुप/रक्त वर्ग की जानकारियों को केवल तभी दर्ज किया जाएगा जब तीनों जांचों का नतीजा/परिणाम एक समान आएगा। रजिस्ट्रार उन मामलों की जांच स्वयं करेगा जिन मामलों में नमूने आपस में नहीं मिल रहे हों और उस तकनीशियन को अयोग्य/नापास करेगा जिसके 1 प्रतिशत से ज्यादा परिणाम बिलकुल सही नहीं होंगे।
9. बाद में, रजिस्ट्रार सभी नागरिकों के डी.एन.ए. की जानकारियां उम्र के घटते हुए क्रम में लेगा/सजाएगा।
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(31.6) निजी पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) (से बने) कार्ड की लागत (वर्ष 2010 – आधार मूल्य / कीमतें) |
डी.एन.ए. छापों को बाद में इस प्रणाली(सिस्टम) में जोड़ा जाएगा। रक्त समूह/ब्लड ग्रुप की जानकारियों के बिना और (डी.एन.ए. छाप के बिना) उपर लिखित निजी पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) की लागत प्रति व्यक्ति 100 रूपए से 200 रूपए होगी और पूरे भारत के लिए लागत लगभग 20,000 करोड़ रूपए होगी। यह प्रणाली(सिस्टम) बांग्लादेशियों के घुसपैठ(देश के अंदर अवैध तरीके से घुस जाना) को रोकेगा। रक्त समूहों की जानकारियों की लागत लगभग 500 रूपए प्रति व्यक्ति होगी और डी.एन.ए. नक़्शे(प्रोफाइल) की लागत लगभग 2000 रूपए (प्रति व्यक्ति) होगी यदि इसे व्यापक/बड़े पैमाने पर बनाया जाए। इस प्रकार, पूरे भारत के लिए डी.एन.ए. नक़्शे(प्रोफाइल) के साथ निजी पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) बनाने की लागत लगभग 300,000 करोड़ रूपए होगी। यह लागत असम को बांग्लादेश का हिस्सा बनने से रोकने के लिए उचित/बहुत कम है।
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(31.7) निजी पहचान-पत्र के लाभ |
1. यदि एक बार निजी पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) लागू हो जाती है और हरेक व्यक्ति के पास निजी पहचान-पत्र आ जाता है तो सरकार के लिए यह सरकारी आदेश जारी करना संभव हो जाएगा कि मालिक को कर्मचारियों के निजी पहचान-पत्र की रिपोर्ट/जानकारी देनी होगी और जूरी उस मालिक पर जुर्माना लगा सकती है जो बगैर पहचान-पत्र वाले बहुत से लोगों को काम पर रखता है। इसलिए, अवैध परदेशी(आप्रवासी) लोगों के पास केवल 2 ही विकल्प होंगे – भारत/देश छोड़ देना या जाली पहचान-पत्र प्राप्त करना अथवा किसी अन्य व्यक्ति के पहचान-पत्र का प्रयोग करना। पहले वर्ष के बाद, नवजात बच्चों को छोड़कर किसी के लिए भी पहचान-पत्र हासिल/प्राप्त करना संभव नहीं होगा। और यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति के प्रमाण-पत्र का प्रयोग करता है तो वह सरकारी अधिकारियों द्वारा पकड़ लिया जाएगा। इस प्रकार निजी पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) (बन जाने) से नए बांग्लादेशियों का आना/घुसपैठ कम हो जाएगा।
2. एक बार जब हरेक व्यक्ति के पास पहचान-पत्र हो जाएगा और भुगतानकर्ता-प्राप्तकर्ता दोनों के पास एक दूसरे के पहचान-पत्र की रिपोर्ट करने का जरिया/कोड होगा तो आय की कम रिपोर्ट/जानकारी देने या भुगतान ज्यादा होने की रिपोर्ट/जानकारी की घटनाएं कम होंगी। इससे आयकर की चोरी कम होगी।
3. जब प्रत्येक व्यक्ति के पास पहचान-पत्र होगा और जमीन/भूमि के रिकार्ड भी पहचान-पत्र के साथ जुड़े होंगे तो संपत्ति कम बताने करने की घटनाएं कम होंगी। इससे सम्पत्ति कर की चोरी कम होगी।
4. डी.एन.ए. आंकड़ा कोष(डाटाबेस) से अदालती/न्यायालय(फोरेंसिक) प्रणाली(सिस्टम) में सुधार आएगा और संदिग्ध(जिसपर अपराध करने का शक है) लोगों को खोज निकालना आसान हो जायेगा।
5. निजी पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) से (कैद से)भागने वालों पर और वैसे लोगों पर, जो बुलावा/समन का उल्लंघन करते हैं, नजर रखना/उन्हें खोजना आसान हो जाएगा और इस प्रकार कानून व्यवस्था की स्थिति में सुधार आएगा।
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(31.8) डी.एन.ए. आंकड़े (डाटा) का प्रयोग करके आपसी संबंधों का नक्शा / जाल बनाना |
मान लीजिए, वर्ष 2010 की 1 जनवरी को सिस्टम में 3 महीने से अधिक उम्र के हर व्यक्ति का डी.एन.ए. के आंकड़े/डाटा दर्ज है। अब प्रत्येक व्यक्ति से उसके संबंधियों/रिश्तेदारों के नाम, पहचान-पत्र देने के लिए कहा जा सकता है। इन जानकारियों को सिस्टम में डालने के बाद और डी.एन.ए. के आंकड़ों का प्रयोग करके संबंधों को वास्तव में बहुत हद तक जांच किया जा सकता है। माता-पिता – बच्चे का 50 प्रतिशत डी.एन.ए. साझा/एक समान होगा, भाई-बहनों जिनके माता-पिता एक हैं, का 50 प्रतिशत से ज्यादा डी.एन.ए. साझा/एक समान होगा और जिन भाई-बहनों के माता-पिता में से केवल एक साझा है , का 25 प्रतिशत डी.एन.ए. बराबर/साझा होगा, पोते-पोतियों और दादा-दादियों का 25 प्रतिशत डी.एन.ए. साझा होगा और चचेरे भाई/बहन का 25 प्रतिशत डी.एन.ए. साझा होगा, इत्यादि, इत्यादि। इस डाटा का प्रयोग करके किसी व्यक्ति के अनेक निकट रिश्तेदारों की जाँच से सही ठहराया जा सकेगा। किसी व्यक्ति के रिश्तेदारों की संख्या जितनी ज्यादा होगी, उसके परदेशी(आप्रवासी) होने की सम्भावना/अवसर उतने ही कम होंगे। इस प्रकार जांच से सही ठहराए रिश्तेदारों की सूचना का प्रयोग करके कई अवैध बांग्लादेशी जिनके कुछ ही या एक भी रिश्तेदार (भारत में) नहीं हैं, उनकी सही पहचान आसानी से की जा सकेगी। यह प्रणाली(सिस्टम) 2 करोड़ अवैध बांग्लादेशियों में से प्रत्येक को तो नहीं पकड़ सकेगी लेकिन यह उनमें से बहुत ही बड़ी संख्या में लोगों/घुसपैठियों को पकड़ने में सक्षम होगी।
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(31.9) अमेरिका में पहचान-पत्र प्रणाली (सिस्टम) |
बुद्धिजीवियों ने नागरिकों को यह कहकर मार्ग से भ्रमित किया/बहकाया है कि “अमेरिका में पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) है लेकिन अमेरिका अवैध परदेशियों(आप्रवासियों) को रोकने में समर्थ नहीं है। इसलिए भारत को पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) में समय और पैसा बरबाद बिलकुल ही नहीं करना चाहिए।” उनके दावे झूठे हैं। अमेरिका के पास पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) और रिकार्ड हैं जो अमेरिकी सरकार को सक्षम/समर्थ बनाते हैं कि वह किसी भी व्यक्ति के गलत या सही होने के बारे में बता सकती है कि कोई व्यक्ति वैध परदेशी(आप्रवासी) है या अवैध परदेशी(आप्रवासी) है। इसलिए, अमेरिकी सरकार यदि और जब भी चाहे तो सभी अवैध परदेशियों(आप्रवासियों) को निकाल बाहर करने में समर्थ है। अमेरिकी सरकार अवैध परदेशियों(आप्रवासियों) को अमेरिका से निकालती नहीं क्योंकि वे सस्ते मजदूर के रूप में उपलब्ध हैं और अमेरिका की सुरक्षा और एकता के लिए कोई खतरा नहीं हैं। इसलिए, पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) ने हालांकि अमेरिका को अवैध लोगों को हटाने की क्षमता प्रदान की है फिर भी वे अपने हितों को देखते हुए इसका प्रयोग नहीं करते। जबकि भारत में, अबतक हमलोगों के पास रिकार्ड रखने की ऐसी कोई प्रणाली(सिस्टम) ही नहीं है जिससे यह साबित किया जा सके कि कोई व्यक्ति (भारत का) नागरिक है या नहीं। इसलिए, हमलोग अवैध परदेशियों(आप्रवासियों) को महीनों या वर्षों के बाद भी देश से निकाल बाहर करने की स्थिति में नहीं हैं। अबतक के रिकार्ड इतने अपूर्ण हैं कि मात्र 10 प्रतिशत जनसंख्या की ही नागरिकता पूरी तरह से जांच से सही ठहराया जा सकती है। इसके अलावा, बांग्लादेशी परदेशी(आप्रवासी) हमारी सुरक्षा के साथ-साथ एकता के लिए भी खतरा हैं। इसलिए न केवल भारतीय बुद्धिजीवी लोग झूठ बोल रहे हैं बल्कि वे पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) का विरोध करके भारतीय हितों के खिलाफ भी काम कर रहे हैं। हमलोग भारत के सभी गैर-`80 जी` कार्यकर्ताओं से अनुरोध करते हैं कि इन बुद्धिजीवियों का विरोध करें और नागरिकों के सामने यह साबित करें कि ये बुद्धिजीवी लोग भारत विरोधी हैं।
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(31.10) राष्ट्रीय पहचान-पत्र प्रणाली (सिस्टम) पर सभी दलों की राय / उनके रूख |
भारतीय जनता पार्टी सहित सभी पार्टियां राष्ट्रीय पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) के खिलाफ हैं। यही कारण है कि लाल कृष्ण आडवाणी, प्रमोद महाजन, शौरी, अटल बिहारी बाजपेयी आदि जैसे भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने अपने 7 वर्ष के शासनकाल में निजी पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) लागू करने से इनकार किया। इसका कारण बहुत ही छोटा/तुच्छ है – एक निजी पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) से काली संपत्ति और काले धन को छुपाना कठिन बना देती है और चूंकि ये (नेता) यहां के विशिष्ट/ऊंचे लोगों के समर्थक हैं इसलिए ये सभी राष्ट्रीय पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) का विरोध कर रहे हैं। हम नागरिकों से अनुरोध करते हैं कि वे इन नेताओं को वोट न दें क्योंकि ये राष्ट्रीय पहचान-पत्र प्रणाली(सिस्टम) का विरोध कर रहे हैं।
समीक्षा प्रश्न
1. आज की तारीख में कौन सा पहचान-पत्र विश्वव्यापी/सर्वजन के लिए है और अनिवार्य है?
2. सही/गलत बताएं: अमेरिका में अवैध परदेशी(आप्रवास) की वैधानिकता की पहचान करने के लिए कोई प्रणाली(सिस्टम) लागू नहीं है।
3. मान लीजिए कि 1 जनवरी, 2009 को, 6 महीने से बड़े सभी लोगों के पास निजी पहचान पत्र है और मालिकओं को निजी पहचान-पत्र की रिपोर्ट करना/देना जरूरी है। अब बताएं कि कैसे कोई बड़ा/वयस्क बांग्लादेशी भारत में रोजगार प्राप्त कर सकता है?
4. मान लीजिए, निजी पहचान-पत्र के साथ डी.एन.ए. भी संलग्न/जोड़ दिया गया है। अब किसी ऐसे व्यक्ति के बारे में विचार कीजिए जिसका डी.एन.ए. आंकड़े कोष(डाटाबेस) में कोई संबंधी/रिश्तेदार नहीं है। उसके परदेशी(आप्रवासी) होने की संभावना कितनी है?
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